मेरे आँगन में तुलसी .......
अँधेरे कमरे में
दम घूंट रही थी
मन परेशान था
आँखों में अँधेरा
तन भी जवाब दे रहे थे
सब कुछ धीरे -धीरे शून्य होते जा रहे थे
अपनों को आवाज दे -देकर मुंह थक सा गया था
अँधेरे कमरे में
न जाने ! कैसे सूरज की किरणें घुंस आयी
आँखों में चमक आ गई
सूरज की नई किरण
मेरे मन में भी टकराई
जब आँखें खुली
मेरे आँगन में तुलसी ....की नन्हा सा पौधा मुस्का रही थी
मद्धम -मद्धम हवाएं मेरे पास पहुँच रही थी
ऐसा लगा मुझे
हर -घर , हर आँगन में लगे तुलसी ..का पौधा
तो ...साहिल ...अँधेरे जीवन में नई जीव भर दे .....
लक्ष्मी नारायण लहरे .....
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